Balasore FM College Student Death: सौम्यश्री की चुप चीख
जब शिक्षा बन गई सज़ा: बालासोर की सौम्यश्री की चुप चीख़
"वो पढ़ने आई थी, लेकिन लड़ते-लड़ते आग में जल गई। हम सब देख रहे थे – चुपचाप!"
घटना जो केवल ख़बर नहीं, एक चेतावनी है
13 जुलाई 2025 को ओडिशा के बालासोर में FM ऑटोनॉमस कॉलेज की एक छात्रा सौम्यश्री बिस्वाल ने खुद को आग लगा ली। कॉलेज के बाहर, लोगों की भीड़ थी, लेकिन कोई पास नहीं गया। उसके शरीर से धुंआ उठ रहा था और समाज की चुप्पी उससे भी ज्यादा घातक थी।दो दिन बाद, 14 जुलाई की रात को AIIMS भुवनेश्वर में उसका निधन हो गया।
क्या कॉलेज अब सुरक्षित नहीं रहे?
सौम्यश्री कोई आम छात्रा नहीं थी, वो अपने सपनों को लेकर कॉलेज आई थी। बी.एड. कर रही थी, टीचर बनना चाहती थी, लेकिन कॉलेज के भीतर ही उसके सपनों को तोड़ने की कोशिश हुई।उसने आरोप लगाया कि HOD समीर कुमार साहू ने मानसिक और शारीरिक शोषण किया। शिकायतें की गईं, लेकिन कॉलेज प्रशासन और महिला शिकायत समिति ने आवाज़ अनसुनी कर दी।
जब न्याय न मिले, तो आत्मदाह बनता है अंतिम विकल्प?
सौम्यश्री ने हार मानने से पहले कोशिश की – शिकायतें, प्रदर्शन, सोशल मीडिया की पोस्ट – लेकिन जब सिस्टम अंधा और बहरा हो जाए, तब इंसान के पास शरीर को जलाना ही बचता है, ताकि समाज की आत्मा थोड़ी जागे।
अब क्या हुआ?
* आरोपी शिक्षक समीर साहू गिरफ्तार
* प्रिंसिपल दिलीप घोष सस्पेंड
* ₹20 लाख मुआवज़ा, पर क्या उससे जान लौटेगी?
* कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने 17 जुलाई को राज्यव्यापी बंद बुलाया है।
हमने क्या खोया?
हमने एक छात्रा नहीं, एक भविष्य खोया। एक ऐसी बेटी, जिसने सिस्टम के ख़िलाफ़ अकेले लड़ाई लड़ी।जब एक युवती कॉलेज में सुरक्षित नहीं, जब उसकी आवाज़ को दबा दिया जाए, तो शिक्षा क्या सिर्फ डिग्री बनकर रह गई है?
अब क्या करना होगा?
सौम्यश्री की मौत एक अंत नहीं, बल्कि एक प्रश्नचिह्न है। हर कॉलेज, हर क्लासरूम, हर छात्र और हर अभिभावक को अब ये समझना होगा कि “शिक्षा केवल किताबों से नहीं, संवेदनशीलता और न्याय से भी मिलती है।”अब समय है, हम सब उठें – केवल मोमबत्तियाँ जलाने नहीं, व्यवस्था को जवाबदेह बनाने के लिए।